कोरोनावायरस / वेंटिलेटर और सैनिटाइजर के निर्यात पर रोक लगी, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन ड्रग के एक्सपोर्ट पर भी पाबंदी

देश में कोरोनावायरस तेजी से फैल रहा है। अबतक 567 मामले सामने आ चुके हैं और 11 लोगों की मौत हो चुकी हैं। ऐसे में इस महामारी से निपटने के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने मंगलवार को नोटिफिकेशन जारी करते हुए बताया कि वेंटिलेटर और सैनिटाइजर के निर्यात पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। इसमें सांस लेने सहायक आर्टिफिशियल इक्विपमेंट्स और ऑक्सीजन थैरेपी में सहायक उपकरण भी शामिल हैं। पिछले हफ्ते भी कुछ वेंटिलेटर, सर्जिकल, डिस्पोजेबल मास्क और कपड़ा बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। कोरोनोवायरस के प्रकोप के चलते बाजार में हैंड सैनिटाइजर और मास्क की भारी कमी हो गई है क्योंकि लोगों हड़बड़ी में सामान इकट्ठा कर घरों में रख रहे हैं जिस कारण बाजार में इनकी चीजों की भारी कमी हो गई है।


100 रु. होगी सैनिटाइजर की 200एमएल की बोतल की कीमत


महामारी से निपटने के लिए सरकार हर संभव कोशिश कर रही है। कुछ दिन पहले ही सरकार ने फेस मास्क, सैनिटाइजर की कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए इसकी कीमत का ऐलान किया था। उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने ट्वीट करते हुए कहा था कि हैंड सैनिटाइजर की 200 मिलीलीटर की बोतल की कीमत 100 रुपए से ज्यादा नहीं होगी। इसके अलावा अन्य आकार की बोतलों की कीमत भी इसी अनुपात में रहेंगी। ये कीमतें 30 जून 2020 तक पूरे देश में लागू रहेंगी। सैनिटाइजर के साथ ही मास्क के सही दाम बताए। उन्होंने कहा कि 2 प्लाई (सर्जिकल) मास्क की कीमत 8 रुपए और 3 प्लाई (सर्जिकल) मास्क की कीमत 10 रुपए है।


हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर भी प्रतिबंध


इतना ही नहीं भारत ने मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन या इससे बने अन्य ड्रग्स के निर्यात पर भी रोक लगा दी है। भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है। कुछ समय पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे कोरोना के ट्रिटमेंट के लिए गेम चेंजर बताया था, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने बताया कि हाइड्रोसेक्लोरोक्वाइन के निर्यात मौजूदा अनुबंधों को पूरा करने तक सीमित होंगे। ट्रम्प के इस ड्रग को गेम चेंजर बताने के बाद से अमेरिकी हॉस्पिटल और लोगों ने इसे घरों में इकट्ठा करना शुरू कर दिया था। वहीं चीन, यूरोप और साउथ कोरिया भी इसे कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति के उपचार के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं जबकि भारत ने भी कोरोना से निपटने में लगे डॉक्टर, नर्स और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को इसे रोजाना इस्तेमाल करने की सलाह दी है।
 


हालांकि, फिलहाल इसके कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना जैसी महामारी को पूरी तरह से खत्म कर देता है क्योंकि चीन की झेजियांग यूनिवर्सिटी द्वारा पब्लिश किए गए जर्नल के मुताबिक, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन लेने वाला संक्रमित व्यक्ति से तुलना की जाए जिन्हें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन न लेने वाला पीड़ित व्यक्ति कोरोना से ज्यादा समय तक लड़ सकता है।



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